अमलकांति मेरा दोस्त है
हम स्कूल में एक साथ पढ़ते थे।
रोज़ देर से आता था, और सबक कभी न याद रहता था उसे।
शब्द-रूप पूछो तो ऐसे हैरानी से खिड़की की ओर देखता था
दिल में टीस-सी होती थी हमें |
हम में से कोई मास्टर बनना चाहता था, कोई डॉक्टर, कोई वकील
अमलकांति इन में से कुछ भी नहीं बनना चाहता था।
वो शर्मीली-सी धूप, जो बारिश रुकने के बाद शाम को निकलती है
वही जो जामुन के पत्ते पे ज़रा सी हँसी की तरह फैल जाया करती है ...
हम में से कोई मास्टर बना, कोई डॉक्टर, कोई वकील
अमलकांति धूप न बन सका।
वह अभी एक अँधेरी प्रेस में काम करता है
और कभी-कभी मुझसे मिलने आता है।
चाय पीता है, इधर-उधर की बातें करता है
और बोलता है, "चलता हूँ फिर!"
मैं उसे दरवाज़े तक छोड के आता हूँ।
हम लोगो में से जो मास्टर बना,
वह आराम से डॉक्टर बन सकता था
जो डॉक्टर बनना चाहता था
वह अगर वकील बनता तो कोई नुकसान न था।
पर सबकी इच्छाएं पूरी हुई, सिवाय अमलकांति केे।
सोचते सोचते ...
सोचते सोचते ..
एक दिन खुद धूप बन जाना चाहता था।
~ Nirendranath Chakrabarty
(ये बंगाली भाषा के कवि हैं, जिनका निधन साल 2018, दिसंबर में हुआ)
Translation : Nayana/नयना