वह आदमी जान ही नहीं पाया
– सुभाष मुखोपाध्याय
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ट्रांसलेशन(बांग्ला से हिंदी) : नयना
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जबकि
थोड़ा-सा और नीचे टटोलता तो
उसे मिल जाता आलादीन का वो जादुई चिराग।
उसका दिल!
पर वह आदमी कभी ये जान ही नहीं पाया!
उसके पैसे के पेड़ पर ढेरों पत्ते उगे
लक्ष्मी ऐसे आई, मानो दौड़ती हुई
लम्बे लम्बे बांस के पैरों पर चढ़कर!
दीवार सतर्क खड़ा रहा पहरे में
कोई कमीना, दिल-फरेब हवा
कहीं से भी न घुस पाए!
फिर एक दिन
दोनों हाथों से
भुक्कड़ों की तरह सब निगलते-निगलते
दो उँगलियों के बीच से
जाने कब फिसल गई उसकी ज़िन्दगी!
वह आदमी जान भी न पाया!
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লোকটা জানলই না
– সুভাষ মুখোপাধ্যায়
বাঁ দিকের বুক পকেটটা সামলাতে সামলাতে
হায়! হায় !
লোকটার ইহকাল পরকাল গেল !
অথচ আর একটু নীচে হাত দিলেই সে পেতো আলাদ্বীনের আশ্চর্য প্রদীপ,
তার হৃদয় !
লোকটা জানলোই না !
তার কড়ি গাছে কড়ি হল । লক্ষ্মী এল রণ-পায়ে
দেয়াল দিল পাহাড়া
ছোটলোক হাওয়া যেন ঢুকতে না পারে ! তারপর একদিন
গোগ্রাসে গিলতে গিলতে দু’আঙ্গুলের ফাঁক দিয়ে-
কখন খসে পড়েছে তার জীবন- লোকটা জানলই না !
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