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जहाँ तुम फिसलते हो कहीं
अचानक शुरू हो जाता है
ठीक उसी जगह फिसलना मेरा
महीनों फिसलती रहती हूँ!
यादों के फिसलन भरी गलियों से गुज़रने से भी
अचानक शुरू हो जाता है
ठीक उसी जगह फिसलना मेरा
महीनों फिसलती रहती हूँ!
यादों के फिसलन भरी गलियों से गुज़रने से भी
ज्यादा मुश्किल हो जाता है,
Beautiful! Last two lines linger like tune forgotten long ago.
ReplyDeleteThank you so much ❤️
DeleteBeautiful lines
ReplyDeleteThank you Shabana
Deleteখুব ভালও কবিতা...খুব ভালো । কবিতার শেষ তো পাঠকেও শেষ করে দিচ্ছে...
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