Friday, August 21, 2020

भूल जाना!

अब तुम सब कुछ भूल जाना!

कोरे काग़ज़ की तरह हो जाना!

सपाट, सफ़ेद, अनछुए से।

 अब "सुनो" किसी से न कहना!

और हाँ, लगे हाथ

"बोलो" भी ख़त्म कर ही कर लेना  

"तुम भी!! उफ़्फ़!" 

अब कभी मत बोलना!

क्या पता! चुभ जाए, तो?

अब अगर बड़ी सी आंखें दिख जाएं

और आंखों तक हँसने वाला चेहरा,

तो अटक मत जाना!

मुंह फेर लेना। 

जल्दी तय कर लेना -

जब फरीद रंग गाएंगे, किस रंग में रंगोगे तुम?

नीला तो सोचना भी मत और बसंत वाला पीला भी।  

पीला गले पड़ जाता है, माथे पर बंध जाता है!

सारे शरीर को जकड़ लेता है!

बहुत ही जिद्दड़ हैं वो!

आसमान न देखना तुम बारिश के बाद!

नीला रंग आँखों मे चढ़ जाता है ।

और हाँ! लाल रंग का भी क्या भरोसा!

जग लाल लाल लाल दिखाई देने लगे तो?

दूर रहना इन से!

अब इन्हें तुम बिल्कुल भुला देना।  


सारंगी बजाता है जो वो मोमिन खान!

लगता है लम्बा जिएगा लड़का।

हर मुरकी पर दुआएं ले जाता है लोगों के !

पर तुम्हारे लिए सारंगी अब रोने लगे तो? 

बदल लेना खिड़की! बंद कर लेना कान!

आने मत देना उसे!


तुम रात में सर न उठाना 

आसमान की ऒर न ताकना,

आधे से ज्यादा दिन चाँद टंगा  होता है!

देखना! पंख न निकल पाए फिर!!  

ज़मीन को ताकना।  

बला की खूबसूरत है वो भी! 

इमारतों और गड्ढों से भरा ये शहर 

मददगार साबित होगा!


बस! अब तुम फिर किसी के चाँद न बनना!

बस! अब ये जादू तुम बिल्कुल भूल जाना!

Wednesday, August 19, 2020

सज़ा

 सज़ा तो मेरी बनती है!

तुम्हें तुम्हारे सपनों से जो मिलवाया
अंधेरे में दुबक कर बैठे थे वो, 
मैं छू छू कर जाने कैसे पहुँच गई वहां!
तुम्हारे अँधेरे घर में घुस आई मैं,
सज़ा तो मेरी बनती है!

तुमसे वो सारी बातें सुन ली, 
जो नहीं सुनी थी किसी ने कभी
जिनको सुने अरसा हो गया था तुम्हें भी! 


और पूछ लिए सवाल.... 
मुश्किल तो हो ही गया न फिर!!
तुम्हारे इमारत के मुहार गिरने लगे!
सज़ा तो बनती थी मेरी I
सो मिली!


अब मेरी बातें जो सुनता है 

वो हर घंटे के पैसे लेता है 
बड़ा अजीब है वो इंसान!
मेरे झूठ, मेरे फरेब मुझ ही को बताता रहता है।


सज़ायाफ़्ता मैं, रोज़ सोचती हूँ, 
उसे क्या सज़ा दूँ ?

Who is Fumbling on Forgiveness After All?

It has been a long time since I have been musing on this topic. I wanted to write on it quite a few times but I, even I, fear being misunder...