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तुम एक बार ज़मीन की ओर देखो
और एक बार इंसानों की ओर।
अभी भी सियाह रात का अंत नहीं हुआ
घुप अँधेरा अभी भी तुम्हारे सीने पर रखा है
किसी चट्टान की तरह,
और तुम सांस भी नहीं ले पा रहे हो
सिर के ऊपर एक भयंकर काला आसमान
अभी भी किसी शेर की तरह पंजा ताने बैठा है।
तुम किसी भी तरह इस चट्टान को हटा दो और उस भयंकर आसमान को शांत स्वर में समझा दो
कि तुम डरे नहीं हो उस से।
ज़मीन तो आग ही उगलेगी न
अगर तुम फ़सल उगाना नहीं जानते!
अगर तुम बारिश लाने का मन्त्र ही भूल जाओ
तब तुम्हारी मातृभूमि बस एक रेतीला रेगिस्तान है!
जिस इंसान को गाना नहीं आता,
प्रलय आने पर वो गूंगा और अँधा हो जाता है।
तुम ज़मीन की ओर देखो,
वो इंतज़ार में है -तुम इंसान का हाथ अपने हाथ में लो,
वो कुछ बोलना चाहता है।
Poem by Birendra Chattopadhyay
Translation by Nayana
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Original
জন্মভূমি আজ
একবার মাটির দিকে তাকাও
একবার মানুষের দিকে।
এখনো রাত শেষ হয়নি;
অন্ধকার এখনো তোমার বুকের ওপর
কঠিন পাথরের মতো, তুমি নিশ্বাস নিতে পারছ না।
মাথার ওপর একটা ভয়ংকর কালো আকাশ
এখনো বাঘের মতো থাবা উঁচিয়ে বসে আছে।
তুমি যে ভাবে পার এই পাথরটাকে সরিয়ে দাও
আর আকাশের ভয়ংকরকে শান্ত গলায় এই কথাটি জানিয়ে দাও
তুমি ভয় পাওনি।
মাটি তো আগুনের মতো হবেই
যদি তুমি ফসল ফলাতে না জান
যদি তুমি বৃষ্টি আনার মন্ত্র ভুলে যাও
তোমার স্বদেশ তাহলে মরুভূমি।
যে মানুষ গান গাইতে জানে না
যখন প্রলয় আসে সে বোবা ও অন্ধ হয়ে যায়।
তুমি মাটির দিকে তাকাও,সে প্রতীক্ষা করছে;
তুমি মানুষের হাত ধরো, সে কিছু বলতে চায়।
- বীরেন্দ্র চট্টোপাধ্যায়
बहुत उम्दा
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया!
DeleteIts only getting better ❤❤
ReplyDeleteThank you ..hope it does...
DeleteBauhat khoobsoorat, kya baat hai, waah
ReplyDeleteThank you so much Sohail...
DeleteBauhat khoobsoorat, kya baat hai, waah
ReplyDeleteबढ़िया कविता और अनुवाद भी!
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया पूर्वा दी!
Deleteये घुटन,ये बेबसी से आगे क्या?
ReplyDeleteहाथों में हाथ, बातो से बात ।।
क्या खूब!!!
रास्ता एक दूसरे से हो कर ही जाता है शायद।
Deletebahut hi khubsurat..gazab
ReplyDeleteTumhe achhcha lage sunkar mujhe bhi achcha laga!
Deleteशानदार ❤️
ReplyDeleteहम जैसे हिंदीभाषी साथियों के लिए बंगाल के समृद्ध साहित्क खजाने से मोती को चुन चुन कर लाने के लिए बहुत बहुत आभार और साधुवाद।