Wednesday, March 17, 2021

जन्मभूमि आज

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 तुम एक बार ज़मीन की ओर देखो 

और एक बार इंसानों की ओर।  


अभी भी सियाह रात का अंत नहीं हुआ

घुप अँधेरा अभी भी तुम्हारे सीने पर रखा है

किसी चट्टान की तरह, 

और तुम सांस भी नहीं ले पा रहे हो 

सिर के ऊपर एक भयंकर काला आसमान 

अभी भी किसी शेर की तरह पंजा ताने बैठा है।  


तुम किसी भी तरह इस चट्टान को हटा दो 

और उस भयंकर आसमान को शांत स्वर में समझा दो 

कि तुम डरे नहीं हो उस से।  


ज़मीन तो आग ही उगलेगी न

अगर तुम फ़सल उगाना नहीं जानते! 

अगर तुम बारिश लाने का मन्त्र ही भूल जाओ

तब तुम्हारी मातृभूमि बस एक रेतीला रेगिस्तान है!  

जिस इंसान को गाना नहीं आता,

प्रलय आने पर वो गूंगा और अँधा हो जाता है।  


तुम ज़मीन की ओर देखो, 

वो इंतज़ार में है -

तुम इंसान का हाथ अपने हाथ में लो, 

वो कुछ बोलना चाहता है।



Poem by Birendra Chattopadhyay
Translation by Nayana 
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Original 

জন্মভূমি আজ

একবার মাটির দিকে তাকাও

একবার মানুষের দিকে। 

 এখনো রাত শেষ হয়নি;

অন্ধকার এখনো তোমার বুকের ওপর

কঠিন পাথরের মতো, তুমি নিশ্বাস নিতে পারছ না। 

মাথার ওপর একটা ভয়ংকর কালো আকাশ

এখনো বাঘের মতো থাবা উঁচিয়ে বসে আছে। 

তুমি যে ভাবে পার এই পাথরটাকে সরিয়ে দাও

আর আকাশের ভয়ংকরকে শান্ত গলায় এই কথাটি জানিয়ে দাও

তুমি ভয় পাওনি। 


মাটি তো আগুনের মতো হবেই

যদি তুমি ফসল ফলাতে না জান

যদি তুমি বৃষ্টি আনার মন্ত্র ভুলে যাও

তোমার স্বদেশ তাহলে মরুভূমি। 

যে মানুষ গান গাইতে জানে না

যখন প্রলয় আসে সে বোবা ও অন্ধ হয়ে যায়। 

তুমি মাটির দিকে তাকাও,সে প্রতীক্ষা করছে;

তুমি মানুষের হাত ধরো, সে কিছু বলতে চায়। 

বীরেন্দ্র চট্টোপাধ্যায়

14 comments:

  1. Its only getting better ❤❤

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  2. Bauhat khoobsoorat, kya baat hai, waah

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  3. Bauhat khoobsoorat, kya baat hai, waah

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  4. बढ़िया कविता और अनुवाद भी!

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    1. बहुत शुक्रिया पूर्वा दी!

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  5. ये घुटन,ये बेबसी से आगे क्या?
    हाथों में हाथ, बातो से बात ।।
    क्या खूब!!!

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    1. रास्ता एक दूसरे से हो कर ही जाता है शायद।

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  6. Replies
    1. Tumhe achhcha lage sunkar mujhe bhi achcha laga!

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  7. शानदार ❤️
    हम जैसे हिंदीभाषी साथियों के लिए बंगाल के समृद्ध साहित्क खजाने से मोती को चुन चुन कर लाने के लिए बहुत बहुत आभार और साधुवाद।

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