Thursday, August 26, 2021

আমি জিজ্ঞাসা করলাম কি করছো?

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-অজ্ঞেয় 

অনুবাদ: নয়না 

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আমি জিজ্ঞাসা করলাম 

কি তৈরী করছো তুমি?

ও চোখে চোখে যেন বললো, 

ধোঁয়া মুছে নিয়ে বললো:

আমি কি কোনো কিছু তৈরী  করি, বলুন? 

সব তো নিজে নিজেই তৈরী হয়ে যায়! 

আমি অন্তত তাই শুনেছি!

আপনি বলতে পারেন,

ভগবান ব্যস এইটুকুই ক্ষমতা দিয়েছেন আমাকে।  


আমার সহানুভূতিতে খানিকটা জেদও ছিল :- 

বললাম: কিছু একটা তো নিশ্চয় তৈরী করছো!

আচ্ছা ছাড়ো! ধরে নাও তৈরী করছো না 

কিন্তু কিছু তো একটা করছো - 

সেটা কি?


ও বললো: দেখতেই তো পাচ্ছেন 

আমি ছাল  ছাড়াই 

নুন মাখাই

ডলি

রস নিংড়ে নি'

জোরে জোরে ঘষি

কড়াই এ ফেলে কষি 

ফাটিয়ে ফেলি - 

ফেটাই - 

কুচি কুচি করে কাটি সব কিছু 

আর মশলা গুঁড়ো দিয়ে ঢেকে দিই 

ডেকচিতে এলো-মেলো ওলোট-পালট করি।  

কিন্তু আমি কিছু তৈরী করি না   - 

তৈরী সব কিছু নিজে নিজেই হয়।  

আমি তাহলে কী করছি? 

একটা ভারী পেট 

আর ছোট মুখ ওয়ালা 

ডেকচিতে সব কিছু ছুঁড়ে ফেলে 

চেপে-চুপে ভরে 

ভাপে সেদ্ধ হতে ছেড়ে দিয়েছি। 

আমি এর থেকে আর বেশি কিছু করিও না কখনো 

কোনোমতে কাজ সারি বলতে পারেন।  


কিন্তু - 

যা পরিবেশন করি, 

আর যাঁদের পরিবেশন করি

তাঁরা কি জানেন 

আমি নিজের সঙ্গে কী করি?

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Original Text:

मैंने पूछा क्या कर रही हो / अज्ञेय

मैंने पूछा

यह क्या बना रही हो ?

उसने आँखों से कहा

धुआँ पोछते हुए कहा :

मुझे क्या बनाना है ! सब-कुछ

अपने आप बनता है

मैंने तो यही जाना है ।

कह लो भगवान ने मुझे यही दिया है ।


मेरी सहानुभूति में हठ था :

मैंने कहा : कुछ तो बना रही हो

या जाने दो, न सही –

बना नहीं रही –

क्या कर रही हो ?

वह बोली : देख तो रहे हो

छीलती हूँ

नमक छिड़कती हूँ

मसलती हूँ

निचोड़ती हूँ

कोड़ती हूँ

कसती हूँ

फोड़ती हूँ

फेंटती हूँ

महीन बिनारती हूँ

मसालों से सँवारती हूँ

देगची में पलटती हूँ

बना कुछ नहीं रही

बनाता जो है – यह सही है-

अपने–आप बनाता है

पर जो कर रही हूँ–

एक भारी पेंदे

मगर छोटे मुँह की

देगची में सब कुछ झोंक रही हूँ

दबा कर अँटा रही हूँ

सीझने दे रही हूँ ।

मैं कुछ करती भी नहीं–

मैं काम सलटती हूँ ।


मैं जो परोसूँगी

जिन के आगे परोसूँगी

उन्हें क्या पता है

कि मैंने अपने साथ क्या किया है ?

Monday, August 23, 2021

আমি চাই

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আমি চাই স্পর্শ বেঁচে থাক

সেই স্পর্শ নয় যা কাঁধ চীরে হঠাৎ

আততায়ীর মতো আমাদের পার করে যায়

বরং সেই স্পর্শ বেঁচে থাক 

যা কোনো লম্বা অজানা যাত্রার শেষে 


পৃথিবীর কোনো এক চেনা কোণায় পৌঁছনোর অনুভূতি দেয়।  


আমি চাই জীবনে আস্বাদ বেঁচে থাকুক  

মিষ্টি আর তেতো নয়

 এমন স্বাদ যা জবর-দখল করে না

বরং বাঁচিয়ে রাখে - 


আমার উদ্দেশ্য সহজ সরল বাক্য বাঁচিয়ে রাখা

যেমন - আমরা সবাই মানুষ!

আমি চাই, এই বাক্যের সততা বেঁচে থাকুক!

রাস্তায় যে স্লোগান শোনা যায়

বেঁচে থাক সে তার প্রকৃত অর্থ নিয়ে।  

আমি চাই নিরাশাও বেঁচে থাক

যা আবার কোনো নতুন আশা জাগিয়ে তোলে

নিজের জন্যে 

আর জীবিত থাক শব্দ 

পাখির মতোই যা কখনো ধরা দেয় না 


ছেলেমানুষি বেঁচে থাক প্রেমে - 

আর কবিদের মধ্যে বেঁচে থাক একটু লজ্জা।  


- মঙ্গলেশ ডবরাল

Image Courtesy: Google/Oprah.com 

https://www.oprah.com/health/health-benefits-of-touching

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मैं चाहता हूँ 

- मंगलेश डबराल

मैं चाहता हूँ कि स्पर्श बचा रहे

वह नहीं जो कंधे छीलता हुआ

आततायी की तरह गुज़रता है

बल्कि वह जो एक अनजानी यात्रा के बाद

धरती के किसी छोर पर पहुँचने जैसा होता है


मैं चाहता हूँ स्वाद बचा रहे

मिठास और कड़वाहट से दूर

जो चीज़ों को खाता नहीं है

बल्कि उन्हें बचाए रखने की कोशिश का

एक नाम है


एक सरल वाक्य बचाना मेरा उद्देश्य है

मसलन यह कि हम इंसान हैं

मैं चाहता हूँ इस वाक्य की सचाई बची रहे

सड़क पर जो नारा सुनाई दे रहा है

वह बचा रहे अपने अर्थ के साथ

मैं चाहता हूँ निराशा बची रहे

जो फिर से एक उम्मीद

पैदा करती है अपने लिए

शब्द बचे रहें

जो चिड़ियों की तरह कभी पकड़ में नहीं आते

प्रेम में बचकानापन बचा रहे

कवियों में बची रहे थोड़ी लज्जा ।


Friday, August 6, 2021

ছোটদের জন্যে চিঠি

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আদরের ছোটরা, আমরা তোমাদের কোনো কাজেই লাগলাম না।  তোমরা চেয়েছিলে আমাদের অত্যন্ত দামী সময় কাটুক, তোমাদের সঙ্গে খেলে। তোমরা চেয়েছিলে আমরাও আমাদের সাথে খেলতে নিই তোমাদের।  তোমরা চেয়েছিলে আমরা তোমাদের মতো নিষ্পাপ হয়ে যাই।  


আদরের ছোটরা, আমরাই তোমাদের বলেছিলাম জীবন আসলে একটা যুদ্ধের মাঠ, যেখানে শুধু লড়াই করে যেতে হয়।  

আসলে আমরাই হাতিয়ারে শাণ দিয়ে গেছি।  

আমরাই শুরু করেছি যুদ্ধ।  

আমরাই রাগে আর ঘৃনায় অন্ধ হয়ে গিয়েছি! 

আদরের ছোট সোনারা, আমরা মিথ্যে কথা বলেছি তোমাদের।  


এ যেন এক অসম্ভব লম্বা রাত।

যেন কোন সুড়ঙ্গ।  

এখান থেকে বাইরে তাকালে 

শুধুমাত্র অস্পষ্ট কিছু দৃশ্য দেখা যায়।  

দেখা যায় শুধু প্রবল হানাহানি আর বিলাপ।  


আদরের ছোটরা, 

আমরাই তোমাদের ওখানে পাঠিয়েছি।  

আমাদের ক্ষমা করে দাও।  

আমরা মিথ্যে বলেছি তোমাদের যে

জীবন এক যুদ্ধক্ষেত্র।  


আদরের ছোটরা শোনো

জীবন আদতে উৎসব আর সেই উৎসবের হাসি হলে তোমরা  

জীবন আসলে এক চির-সবুজ গাছ 

যার ডালপালার ফাঁকে ফাঁকে তোমরা পাখির মতো উড়ছো।  


আমি শুনেছি কোনো কবি বলেছেন, জীবন যেন এক উচ্ছল ফুটবল 

আর ছোটরা যেন তাকে ঘিরে থাকা অনেকগুলি চঞ্চল পায়ের পাতা।


আদরের ছোটরা,  এমনটা যদি এখন নাও হয় 

তোমরা মনে রেখো, 

ঠিক এমনটাই হওয়া উচিৎ।


-মঙ্গলেশ ডবরাল  

অনুবাদ: নয়না 

Image courtesy: Google 

https://news.microsoft.com/en-in/features/microsoft-india-hackathon-2017-franz-gastler-yuwa-football-jharkhand-girls

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प्यारे बच्चो हम तुम्हारे काम नहीं आ सके । तुम चाहते थे हमारा क़ीमती

समय तुम्हारे खेलों में व्यतीत हो । तुम चाहते थे हम तुम्हें अपने खेलों

में शरीक करें । तुम चाहते थे हम तुम्हारी तरह मासूम हो जाएँ ।

प्यारे बच्चो हमने ही तुम्हें बताया था जीवन एक युद्धस्थल है जहाँ

लड़ते ही रहना होता है । हम ही थे जिन्होंने हथियार पैने किये । हमने

ही छेड़ा युद्ध हम ही थे जो क्रोध और घृणा से बौखलाए थे । प्यारे

बच्चो हमने तुमसे झूठ कहा था ।

यह एक लम्बी रात है । एक सुरंग की तरह । यहाँ से हम देख सकते

हैं बाहर का एक अस्पष्ट दृश्य । हम देखते हैं मारकाट और विलाप ।

बच्चो हमने ही तुम्हे वहाँ भेजा था । हमें माफ़ कर दो । हमने झूठ कहा

था कि जीवन एक युद्धस्थल है ।

प्यारे बच्चो जीवन एक उत्सव है जिसमें तुम हँसी की तरह फैले हो ।

जीवन एक हरा पेड़ है जिस पर तुम चिड़ियों की तरह फड़फड़ाते हो ।

जैसा कि कुछ कवियों ने कहा है जीवन एक उछलती गेंद है और

तुम उसके चारों ओर एकत्र चंचल पैरों की तरह हो ।

प्यारे बच्चो अगर ऐसा नहीं है तो होना चाहिए

Who is Fumbling on Forgiveness After All?

It has been a long time since I have been musing on this topic. I wanted to write on it quite a few times but I, even I, fear being misunder...